Wednesday, May 9, 2018

One point acupressure


https://youtu.be/PgGRe8q3bBA

*Acupressure – One Point Healing (Acupressure Point One, Benefits Many)*

*Beneficial in-*
• Every type pf pain and psychogenic tense
• Face related all types of pain
• Headache (Large intestine 4, is the best acupressure point for headaches. Works quite fast, usually within a minute or two, to soothe headaches)
• Migraine pain.
• Sinusitis
• Face swelling
• Pain in mouth, teeth and jaw and its muscles
• Ear pain
• Nose pain, nasal congestion, nosebleed
• Groin pain
• Sore throat
• Neck pain
• Arm pain
• Regular bowel movements (नियमित रूप से मल त्याग).
• Help alleviate constipation
• Painful swelling and reddening of the eyes, pink eye
• Vision problem
• Controlling diabetes

*If you find it beneficial, then post your coments in YouTube and share amongst your groups.*
https://youtu.be/PgGRe8q3bBA

Tuesday, May 8, 2018

Bank account hack

*बेंक अकाउंट हैक करके ठगाई का एक नया तरीका* 
*जरूर पढ़ें और सावधान रहे*

कल शाम को एक काल आयी, कोई लड़की थी।

बोली," सर, मैं जॉब के लिए रजिस्ट्रेशन कर रही थी। गलती से आपका नम्बर डाल दिया है, क्योकि मेरे और आपके मोबाइल नंबर में काफी समानता है। आपके पास थोड़ी देर में एक ओटीपी आएगी, प्लीज बता दो सर, ज़िन्दगी का सवाल है।"

बात बिल्कुल जेनुइन लग रही थी, मैनें इनबॉक्स चेक किया, दो मैसेज आये थे। एक पर ओटीपी था, दूसरा एक मोबाइल से आया मैसेज। लिखा था, dear सर, आपके पास जो ओटीपी आयी है, प्लीज इस नंबर पर भेज दीजिये..........Thanks in advance.

मैसेज देख ही रहा था कि फोन दोबारा आया .... मैनें ओके क्लिक किया। वही सुमधुर आवाज। बस नंबर दूसरा था।
" सर, आपने देखा होगा अब तक ओटीपी आ गयी होगी। या तो बता दो या फारवर्ड कर दो उस नंबर पर..." प्लीज...
"बता दूंगा, पर आप पहले एक काम करो.."
"हा सर.. बोलिये.."
"जो नंबर आपनें डाला है रेजिस्ट्रेसन में, वो मेरा नम्बर है और उसी से मिलता जुलता नम्बर आपके पास भी है, तभी आपसे ये गलती हुई , है न?"
"हां सर.."
"ओके, उसी नम्बर से मुझे आप कॉल करो, ताकि मैं वेरीफाई कर सकूं की आप सही हो.."
"वो क्या है सर, उस नम्बर में बैलेंस नही है।सर.. एक लड़की की बात पर आपको भरोसा नही..
"बात लड़की, लड़के और भरोसे की नही है। मैं आपको नही जानता, तो बिना जांचे परखे कैसे भरोसा कर लूं..
" तो रहने दीजिए आप..आप जैसे दुस्ट लोगों की वजह से आज मानवता से लोगों का भरोसा उठ गया है। "
दो चार गालियों के साथ उस सुमधुर कर्कशा ने फोन काट दिया।

मन भारी हो गया था। शायद मैं ज्यादा अविश्वासी और टेक्निकल होता जा रहा हूँ।
दोबारा से उस नम्बर को डायल करके ओटीपी बताने के लिए फ़ोन उठाया। तभी icici बैंक का ईमेल का नोटिफिकेशन स्क्रीन पर फ़्लैश हुआ।बैंक का नोटिफिकेशन था, देखना जरूरी था।
लिखा था,

Dear Sir/Madam
You are trying to change your internet banking password, click the link below..
......
मैं सन्न रह गया। मानवता के नाम पर भी इतनी ठगबाज़ी.. धोखेबाज़ी..

मन गुस्से से भर उठा, रीडायल किया, लड़ाई के मूड में..

उधर से जवाब आ रहा था,

The telenor customer, you are trying to reach is not available.

                              *शेयर_फ़ॉर केअर*

Wednesday, May 2, 2018

कायस्थ क्षत्रिय हैं

कायस्थ जाति
का वर्ण क्षत्रिय है।

आईए जानते
है एक न भूलने वाला लेख
के द्वारा ........
.
ऋषियों की स्मृति जैसे कि मनु, याज्ञवल्क्य, व्यास, वशिष्ठ आदि ने
मनुष्यों को चार वर्णों ब्राह्राण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र में विभाजित
किया है,
.
मनु ने अघ्याय दस श्लोक चार में कहा है कि इनके अतिरिक्त
पाचवां वर्ण नहीं है।
.
अत: कायस्थों को इन चारों वर्णों में से से
किसी एक में स्थान देना है।

महाभारत दृढ़ता पूर्वक घोषित करती है कि आरम्भ
में इन श्रेणियों में कोई भेद भाव
नहीं था।

परन्तु बाद में आचार विचार
तथा व्यवसाय के आधार पर भेदभाव
उत्पन्न हो गया।

पदम पुराण के उत्तराखण्ड में वर्णित है
कि चित्रगुप्त की दो पतिनयों से
प्राप्त 12 पुत्र यज्ञोपवीत धारण
करते थे तथा उनके विवाह नाग कन्याओं
से हुए थे। वे कायस्थों की बारह
उपजातियों के पूर्वज थे।

यह कथा कहती है कि कायस्थ चित्रगुप्त
वंशी क्षत्रीय हैं ।

वे समस्त संस्कारों के
अधिकारी हैं। यही कथा थोड़े बहुत
अन्तर के साथ अधिकतर पुराणों में
दी गयी है।

पदमपुराण में उपरोक्त
कथा के पश्चात लिखा गया है कि :
‘चित्रगुप्त’ को धर्मराज के निकट
जीवों के अच्छे व बुरे
कर्मों का लेखा जोखा लिखने के लिए
रखा गया।

उनमें आलोकिक
बुद्विमता थी और वो अगिन
तथा देवताओं को चढ़ाई जाने
वाली बलि के भाग प्राप्त करने के
अधिकारी थे।

इसी कारण से द्विज
श्रेणी के लोग उन्हें अपने भोजन में से
भोग लगाते हैं।

पदम पुराण के सृष्टि खण्ड में
भी कहा गया है कि कायस्थों के
धार्मिक संस्कार तथा अध्ययन
ब्राह्राणों के समान
तथा उनका व्यवसाय क्षत्रियों के
समान होनी चाहिए।

भविष्य पुराण मे
कहा गया है कि सृष्टिकर्ता ईश्वर ने
चित्रगुप्त को नाम तथा कर्तव्य
निम्नलिखित अनुसार निशिचत किये।

‘चूकि तुम मेरी काया से प्रकट हुए हो इसलिए ऐ मेरे पुत्र, तुम्हारा निवास सदा न्याय के देवता के
यहां रहेगा ताकि तुम मनुष्यों के अच्छे
तथा बुरे कर्मों का निर्णय
करो तथा मेरे अटल आदेशों को प्राप्त
करते हुए, तुम्हें शास्त्रों के अनुसार
क्षत्रियों के रीति रिवाज तथा धर्म
विधान का पालन करना चाहिए।’

गरुड़ पुराण में कहा गया है
कि चित्रगुप्त का राज्य सिंहासन
यमपुरी में है और वो अपने न्यायालय में
मनुष्यों के कर्मों के अनुसार उनका न्याय
करते हैं तथा उनके
कर्मों का लेखा जोखा रखते हैं,

‘शब्द कल्पद्रुम’ में यम
संहिता की ंव्याख्या में कहा गया है,
‘कि कायस्थ
जो ब्रह्राजी की काया से प्रकट हुए
हैं उनकी ब्राह्राण के समान पदवी है

परन्तु कलि-युग में उनके धार्मिक रीति रिवाज तथा कर्तव्य
क्षत्रियों के समान होंगे।’

जिसके अनुसार आज
भी कहीं कहीं कायस्थों में शस्त्र पूजन
का प्रचलन है।
कायस्थों की 12
उपजातियां इन्हीं 12 पुत्रों से चलीं।

भानु, जो कि श्रीवास्तवों के पूर्वज थे, कश्मीर में जाकर बसे, वह वहा श्रीनगर
के राजा बने तथा चन्द्रगुप्त (मगध के
राजा) से राजाधिराज
की उपाधि प्राप्त की।

विभानु जो कि सूर्यध्वजों के पूर्वज थे, ने
इक्ष्वाकु वंश के राजा सूर्यसेन से
उपाधि पायी क्योंकि उन्होंने एक
बलिदान में उनकी सहायता की थी।

विश्वभानु जो कि अस्थाना कायस्थों के
पूर्वज थे, को बनारस के राजा ने सम्मानित किया और उन्हें अष्ट (आठ)
प्रकार के बहुमूल्य मोती भेंट किये जिसके
कारण वह अस्थाना कहलाये।

बृजभान, जो कि बाल्मीकि के पूर्वज थे, ने
बाल्मीकि नाम अपने आत्मसंयम
तथा धार्मिक चिन्तन के कारण पाया।

चारु के वंशज मथुरा में बसने के कारण
माथुर कहलाये।

सुचारु के वंशज बंगाल
की पुरानी राजधानी गौर या गौड़ के
नाम पर गौड़ कहलाये। इस उपजाति ने
सैन राजवंश की नींव डाली और
कहा जाता है कि उनके पूर्वज भागदत्त
महाभारत के युद्व में युधिष्ठर के विरुद्व
दुर्योधन की ओर से लड़े थे।

उनमें से राजा लालसैन एक अन्य प्रसिद्व
राजा हुए थे। इस राज वंश के अनितम
राजा लक्ष्मण थे।

भटनागर उपजाति ने यह नाम भट नदी के किनारे पर अथवा पुराने
कस्बे भटनेर में निवास करने के कारण
पाया।

सक्सेना उपजाति साहितियक
थी तथा युद्व में उनके बुद्वि कौशल के
कारण श्री नगर के श्रीवास्तव राजा ने
उन्हें ‘सेना के मित्र’ की उपाधि प्रदान
की थी।
उनके पूर्वजों में से एक सूरज चन्द्र अथवा सोमदत्त
को श्री रामचन्द्र जी के पुत्र कुश ने उनके कोषाध्यक्ष के रुप में र्इमानदार
होने के कारण उन्हें ‘खरवा’
की उपाधि दी थी।

अत: ‘खरवा’
सक्सेना उपजाति का सम्प्रदाय बन
गया।

अम्बष्ठ देवी अम्बा जी की आराधन करने के
कारण कहलाये, जो कि हिमवान के वंशज
थे। अम्बष्ठ उपजाति बिहार के
पटना तथा गया जनपदों में पाई जाती है।

अरुण के वंशज कर्ण जैसा कि मि. क्रुक
का कथन है, पूर्ण रुप से
आर्यों की उपजाति है। इनका नाम
नर्मदा के करनाली के ऊपर पड़ा। यह
उड़ीसा में लेखक वर्ग के रुप में विख्यात
हैं।

कायस्थों की विभिन्न
उपजातियों के बारे में मि0 क्रुक का कथन है कि कायस्थों ने इतिहास में
महत्व पूर्ण भूमिका निभार्इ। उन्होंने
राजवंशों की स्थापना की तथा राजा
एवं राजाधिराज बने।

वह रणभूमि में लड़े
तथा लड़ार्इ में अपने बुद्वि कौशल का प्रदर्शन किया, जिसके कारण
राजाओं तथा जनता से सम्मान पाया,
तथा समाज में उच्च स्थान प्राप्त
किया।

उनके रीति रिवाज, धार्मिक
अनुष्ठान तथा विवाह आदि उच्च जाति नियमों के अनुसार होते हैं।

एक ही अल्ल में विवाह नहीं होते हैं
तथा इसके लिए पिता तथा माता के
वंशों का ध्यान रखा जाता है।

एक से अधिक पति तथा पत्नी रखने पर
कड़ा प्रतिबन्ध है।

वे चित्रगुप्त
की पूजा करते हैं, विशेष रुप से कार्तिक
मास की यमद्वितीया को, जिस दिन
कि समस्त हिन्दु, चित्रगुप्त के 14
यमों में से एक यम होने के कारण
उनकी पूजा करते हैं।

उपरोक्त विवेचना के अनुसार पटना हाईकोर्ट
नेनिर्णय दिया है
कि कायस्थ जाति का वर्ण क्षत्रिय है।

शिवलिंग

शिवलिंग को गुप्तांग की संज्ञा कैसे दी और अब हम  हिन्दू खुद शिवलिंग को शिव् भगवान का गुप्तांग समझने लगे हे और दूसरे हिन्दुओ को भी ये गलत जानकारी देने लगे हे।

प्रकृति से शिवलिंग का क्या संबंध है ..?
जाने शिवलिंग का वास्तविक अर्थ क्या है और कैसे इसका गलत अर्थ निकालकर हिन्दुओं को भ्रमित किया...??

कुछ लोग शिवलिंग की पूजा
की आलोचना करते हैं..।
छोटे छोटे बच्चों को बताते हैं कि हिन्दू लोग लिंग और योनी की पूजा करते हैं । मूर्खों को संस्कृत का ज्ञान नहीं होता है..और अपने छोटे'छोटे बच्चों को हिन्दुओं के प्रति नफ़रत पैदा करके उनको आतंकी बना देते हैं।संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है । इसे देववाणी भी कहा जाता है।

*लिंग*
लिंग का अर्थ संस्कृत में चिन्ह, प्रतीक होता है…
जबकी जनर्नेद्रीय को संस्कृत मे शिशिन कहा जाता है।

*शिवलिंग*
>शिवलिंग का अर्थ हुआ शिव का प्रतीक….
>पुरुषलिंग का अर्थ हुआ पुरुष का प्रतीक इसी प्रकार स्त्रीलिंग का अर्थ हुआ स्त्री का प्रतीक और नपुंसकलिंग का अर्थ हुआ नपुंसक का प्रतीक। अब यदि जो लोग पुरुष लिंग को मनुष्य की जनेन्द्रिय समझ कर आलोचना करते है..तो वे बताये ”स्त्री लिंग ”’के अर्थ के अनुसार स्त्री का लिंग होना चाहिए ।

*शिवलिंग”’क्या है ?*
शून्य, आकाश, अनन्त, ब्रह्माण्ड और निराकार परमपुरुष का प्रतीक होने से इसे लिंग कहा गया है । स्कन्दपुराण में कहा है कि आकाश स्वयं लिंग है।शिवलिंग वातावरण सहित घूमती धरती तथा सारे अनन्त ब्रह्माण्ड ( क्योंकि, ब्रह्माण्ड गतिमान है ) का अक्स/धुरी (axis) ही लिंग है।
शिव लिंग का अर्थ अनन्त भी होता है अर्थात जिसका कोई अन्त नहीं है और ना ही शुरुआत।

शिवलिंग का अर्थ लिंग या योनी नहीं होता ।
..दरअसल यह गलतफहमी भाषा के रूपांतरण और मलेच्छों यवनों  के द्वारा हमारे पुरातन धर्म ग्रंथों को नष्ट कर दिए जाने पर तथा बाद में षडयंत्रकारी अंग्रेजों के द्वारा इसकी व्याख्या से उत्पन्न हुआ है ।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि एक ही शब्द के विभिन्न भाषाओँ में अलग-अलग अर्थ निकलते हैं ।
उदाहरण के लिए
यदि हम हिंदी के एक शब्द “सूत्र” को ही ले लें तो
सूत्र का मतलब डोरी/धागा गणितीय सूत्र कोई भाष्य अथवा लेखन भी हो सकता है। जैसे कि नासदीय सूत्र ब्रह्म सूत्र इत्यादि ।
उसी प्रकार “अर्थ” शब्द का भावार्थ : सम्पति भी हो सकता है और मतलब (मीनिंग) भी ।
ठीक बिल्कुल उसी प्रकार शिवलिंग के सन्दर्भ में लिंग शब्द से अभिप्राय चिह्न, निशानी, गुण, व्यवहार या प्रतीक है । धरती उसका पीठ या आधार है और सब अनन्त शून्य से पैदा हो उसी में लय होने के कारण इसे लिंग कहा है।तथा कई अन्य नामों से भी संबोधित किया गया है। जैसे : प्रकाश स्तंभ/लिंग, अग्नि स्तंभ/लिंग, उर्जा स्तंभ/लिंग, ब्रह्माण्डीय स्तंभ/लिंग (cosmic pillar/lingam)

ब्रह्माण्ड में दो ही चीजे हैं: ऊर्जा और प्रदार्थ। हमारा शरीर प्रदार्थ से निर्मित है और आत्मा ऊर्जा है।
इसी प्रकार शिव पदार्थ और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बन कर शिवलिंग कहलाते हैं।
ब्रह्मांड में उपस्थित समस्त ठोस तथा ऊर्जा शिवलिंग में निहित है। वास्तव में शिवलिंग हमारे ब्रह्मांड की आकृति है.

The universe is a sign of Shiva Lingam

शिवलिंग भगवान शिव और देवी शक्ति (पार्वती) का आदि-आनादी एकल रूप है तथा पुरुष और प्रकृति की समानता का प्रतिक भी है। अर्थात इस संसार में न केवल पुरुष का और न केवल प्रकृति (स्त्री) का वर्चस्व है अर्थात दोनों सामान हैं।

*अब बात करते है योनि शब्द पर-*
मनुष्ययोनि ”पशुयोनी”पेड़-पौधों की योनी’जीव-जंतु योनि
योनि का संस्कृत में प्रादुर्भाव ,प्रकटीकरण अर्थ होता है....जीव अपने कर्म के अनुसार विभिन्न योनियों में जन्म लेता है। किन्तु कुछ धर्मों में पुर्जन्म की मान्यता नहीं है नासमझ बेचारे। इसीलिए योनि शब्द के संस्कृत अर्थ को नहीं जानते हैं। जबकी हिंदू धर्म मे 84 लाख योनि बताई जाती है।यानी 84 लाख प्रकार के जन्म हैं। अब तो वैज्ञानिकों ने भी मान लिया है कि धरती में 84 लाख प्रकार के जीव (पेड़, कीट,जानवर,मनुष्य आदि) है।

*मनुष्य योनि*
पुरुष और स्त्री दोनों को मिलाकर मनुष्य योनि होता है।अकेले स्त्री या अकेले पुरुष के लिए मनुष्य योनि शब्द का प्रयोग संस्कृत में नहीं होता है। तो कुल मिलकर अर्थ यह है:-

लिंग का तात्पर्य प्रतीक से है शिवलिंग का मतलब है पवित्रता का प्रतीक ।
दीपक की प्रतिमा बनाये जाने से इस की शुरुआत हुई , बहुत से हठ योगी दीपशिखा पर ध्यान लगाते हैं । हवा में दीपक की ज्योति टिमटिमा जाती है और स्थिर ध्यान लगाने की प्रक्रिया में अवरोध उत्पन्न करती है। इसलिए दीपक की प्रतिमा स्वरूप शिवलिंग का निर्माण किया गया। ताकि निर्विघ्न एकाग्र होकर ध्यान लग सके । लेकिन कुछ विकृत मुग़ल काल व गंदी मानसिकता बाले गोरे अंग्रेजों के गंदे दिमागों ने इस में गुप्तांगो की कल्पना कर ली और झूठी कुत्सित कहानियां बना ली और इसके पीछे के रहस्य की जानकारी न होने के कारण अनभिज्ञ भोले हिन्दुओं को भ्रमित किया गया ।
आज भी बहुतायत हिन्दू इस दिव्य ज्ञान से अनभिज्ञ है।
हिन्दू सनातन धर्म व उसके त्यौहार विज्ञान पर आधारित है।जोकि हमारे पूर्वजों ,संतों ,ऋषियों-मुनियों तपस्वीयों की देन है।आज विज्ञान भी हमारी हिन्दू संस्कृति की अदभुत हिन्दू संस्कृति व इसके रहस्यों को सराहनीय दृष्टि से देखता है व उसके ऊपर रिसर्च कर रहा है।

*नोट÷* सभी शिव-भक्तों हिन्दू सनातन प्रेमीयों से प्रार्थना है, यह जानकारी सभी को भरपूर मात्रा में इस पोस्ट को शेयर करें ताकि सभी को यह जानकारी मिल सके जो कि मुस्लिम और गोरे अंग्रेजों ने षड्यंत्र के तहत फैला दी थी।
*** अजय कुमार वर्मा , दानापुर , पटना ***