Tuesday, March 24, 2020

An example from Mahabharata to cope with corona

महाभारत युद्ध में अपने पिता द्रोणाचार्य के धोखे से मारे जाने पर अश्वत्थामा बहुत क्रोधित हो गये।

उन्होंने पांडव सेना पर एक बहुत ही भयानक अस्त्र "नारायण अस्त्र" छोड़ दिया।

इसका कोई भी प्रतिकार नहीं कर सकता था।यह जिन लोगों के हाथ में हथियार हो और लड़ने के लिए कोशिश करता दिखे उस पर अग्नि बरसाता था और तुरंत नष्ट कर देता था।

भगवान श्रीकृष्ण जी ने सेना को अपने अपने अस्त्र शस्त्र  छोड़ कर, चुपचाप हाथ जोड़कर खड़े रहने का आदेश दिया। और कहा मन में युद्ध करने का विचार भी न लाएं, यह उन्हें भी पहचान कर नष्ट कर देता है।

नारायण अस्त्र धीरे धीरे  अपना समय समाप्त होने पर शांत हो गया।

इस तरह पांडव सेना की रक्षा हो गयी।

इस कथा प्रसंग का औचित्य समझें?

हर जगह लड़ाई सफल नहीं होती।प्रकृति के प्रकोप से बचने के लिए हमें भी कुछ समय के लिए सारे काम छोड़ कर, चुपचाप हाथ जोड़कर, मन में सुविचार रख कर एक जगह ठहर जाना चाहिए। तभी हम इसके कहर से बचे रह पाएंगे।

कोरोना भी अपनी समयावधि पूरी करके शांत हो जाएगा।

भगवान श्रीकृष्ण जी का बताया हुआ उपाय है, यह व्यर्थ नहीं जाएगा ।
🙏

अत: आज प्रधानमन्त्री द्वारा लगाये गये २१ दिन के लॉकडाउन का पालन हम सभी भारतीय की आवश्यकता हीं नहीं अपितु कर्तव्य है।

प्रधानन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का यह संदेश कोरोना से मुक्ति के लिए जन युद्ध की तरह है जिसे २१ दिनों के "नैसर्गिक सत्याग्रह" के द्वारा  लड़ा जाना है। 
हम अवश्य जीतेंगे।

को - कोई
रो- रोड पर
ना- ना निकले